Reliance Gas- What is the issue and is it a scam?
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Reliance Gas- What is the issue and is it another scam?
One of my professional friend Mr. Deepak Jain has studied the disclosures made by "Aam Admi Party (AAP)" about Shri Mukesh Ambani of Reliance. He has tried his best to make it simplified for a better understanding of the issue that arises out of disclosure by Shri Arvind Kejriwal. I have considered the issue to be important for all consumers as each of us are consumers and are affected badly and thus I am reproducing the same.
One of my professional friend Mr. Deepak Jain has studied the disclosures made by "Aam Admi Party (AAP)" about Shri Mukesh Ambani of Reliance. He has tried his best to make it simplified for a better understanding of the issue that arises out of disclosure by Shri Arvind Kejriwal. I have considered the issue to be important for all consumers as each of us are consumers and are affected badly and thus I am reproducing the same.
रिलायंस का गैस घोटाला क्या है?
★★★★★★★★★★★★★★★★★★
लोग पूछ रहे है रिलायंस का गैस घोटाला क्या है?
★★★★★★★★★★★★★★★★★★
सरल और आसन शब्दों में ये घोटाला इस प्रकार है।
■कृष्णा गोदावरी बेसिन में गैस का कुआ है, उस कुए की गैस सरकार की यानी हम सब की है।
■उस कुए से गैस निकालने का ठेका रिलायंस को मिला। रिलायंस ने खुद कहा की गैस निकलने का प्रति यूनिट खर्चा 1$ से भी कम है, और ठेका रिलायंस को मिल गया।
■कुछ साल बाद रिलायंस कहती है की उसे पैसा गैस के अमेरिका और यूरोप के मार्किट रेट के मुताबिक चाहिए और हमारी सरकार ने रिलायंस की बात मान ली। और जो मंत्री रिलायंस की बात नहीं मानता था, उसे हटा दिया जाता था, जयपाल रेड्डी उसी की वजह से पेट्रोलियम मंत्री पद से हटाये गए।
■जब रिलायंस की बात नहीं मानी जाती तो रिलायंस उत्पादन कम कर ब्लैक मेल करती है। जब उत्पादन कम होता तो उस गैस से चलने वाले सैकड़ो बिजली उत्पादन केंद्र बंद हो जाते और बिजली की किल्लत हो जाती। गैस इम्पोर्ट करते तो दाम ज्यादा चुकाना पड़ता, जो नुकसानदायक होता। सरकार लाचार हो जाती और झुक जाती, कुछ झुकाव भ्रष्टाचार की वजह से भी हो जाता।
───────✔───────
याद रहे रिलायंस गैस की
मालिक नहीं है, उसे सिर्फ गैस
निकलने की अनुमति है।
───────✔───────
■उदहारण के तौर पर एक बात सोचते है। आपके घर में दो टैंक है, एक नीचे है और एक ऊपर। आपने नीचे की टैंक से ऊपर के टैंक तक पानी की पाइपलाइन का ठेका किसी प्लम्बर को दिया। काम होने के बाद अगर प्लम्बर कहे की मुझे हर लीटर का पैसा चाहिए और उतना चाहिए जितना रेट मार्किट में है। क्या आप उसे उतना पैसा देंगे??
⇨ ठेका पानी ऊपर पहुँचाने का था या फिर पानी की मिलकियत देने का?
⇨अगर वो प्लम्बर कहे की मै पाइप लाइन बंद कर दूंगा तो क्या आप डर जायेंगे?
✔✔आप किसी और को बुलाकर ठेका दे देते है। जिस तरह यहाँ ठेकेदार अपने आपको पानी का मालिक मान बैठा है, वैसे ही रिलायंस मान बैठी है की वो गैस की मालिक है।
■एक और उदहारण ट्विटर पर देखने को मिला.
✔मेरी फ्रीज़ से सामान निकल कर उस सामान से मेरे नौकर ने सैंडविच बनाया और मुझसे कहने लगा की बाज़ार में सैंडविच 50 रुपये में मिलता है, मुझे भी 50 रुपये चाहिए!!
कुछ ऐसी ही स्थिति इस घोटाले की है.
★गैस हमारी, और उसे निकालने के खर्च को मूल्य निर्धारण का आयाम न मानते हुए, किसी कमिटी ने मार्किट रेट को आयाम बना दिया!!
✔ असल में खर्चा और कुछ प्रतिशत मुनाफा जोड़कर एक मूल्य तय किया जाना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा है.
■कुछ एक्सपर्ट इस बात से खुश है की 8$ है तो क्या हुआ, अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार से तो कम है. लेकिन सवाल ये है की हमारी गैस की कीमत अन्तराष्ट्रीय कीमत के आधार पर तब तय की जानी चाहिए जब उसे विदेशो में बेचा जाता है, यहाँ पर बिलकुल उल्टा हो रहा है.
यहाँ भारत को 8$ में और बांग्लादेश को 2.5$ में गैस दी जा रही है.
✔सरकार को न झुकते हुए, करार रद्द कर किसी नयी कंपनी को लाना चाहिए था, लेकिन सरकार और उसके मंत्री पैसा खा कर रिलायंस को 1$ की चीज़ के लिए 8$ देने को राज़ी हो गयी!!
⇨⇨★★⇦⇦
लोग कह रहे है इससे
रिलायंस को 54000
करोड़ का मुनाफा हर
साल होगा। मै कहता
हु इससे इस देश की
जनता को हर साल
54000 करोड़ का
नुकसान होगा।
⇨⇨★★⇦⇦
⇨⇨⇨ इतना ही नहीं, CNG के दाम, फ़र्टिलाइज़र के दाम अगर बढ़ गए तो फिर इस देश की अर्थव्यवस्था का भगवन ही मालिक होगा.
■फिलहाल रिलायंस की ही पार्टनर कंपनी यही गैस 2.5$ में बांग्लादेश को दे रही है!! ⇨⇨ इसका मतलब 2.5$ में गैस निकालने का खात्च और मुनाफा दोनों जुड़े हुए है। 2.5$ डॉलर की चीज़ के सरकार 8$ क्यों देना चाहती है, इसका उत्तर कोई नहीं दे रहा।
ツツ अब बात इस मुद्दे पर हो रही राजनीति पर.
■आज तक मुकेश अम्बानी पर किसी पार्टी के नेता ने कुछ बोलने की हिम्मत नहीं जुटाई.
✔अरविन्द केजरीवाल ने मुकेश अम्बानी पर आरोप पहले भी लगाये थे और आज भी लगा रहे है.
✔उन्होंने तो मुकेश अम्बानी के स्विज़ बैंक के खाते का भी नंबर देने का दावा किया था. लेकिन बाकि पार्टियों की इस मुद्दे पर ख़ामोशी कुछ अलग इशारा करती है !
इशारा ऐसा है की जो अम्बानी के खिलाफ कुछ बोलेगा, उसे उस पार्टी में भी जगह नहीं मिलेगी.
◢ अरुण शौरी बीजेपी के उदहारण है और जयपाल रेड्डी कांग्रेस के जिन्हें अच्छे काम के बावजूद विभाग बदलना पड़ा.
■■■■■■■■■■■■■■■■■■■
कुछ पूंजीपति इस देश को चला
रहे है, इस देश की सरकारों पर
इन पूंजीपतियों का नियंत्रण है,
ऐसा प्रतीत होता है. बिजली और
गैस आज की जरुरत है और
शायद इसी जरुरत को ये
कंपनिया सरकार की मज़बूरी
मानती है और ब्लैकमेल और
भ्रष्टाचार कर अनैतिक
धन कमाती है.
■■■■■■■■■■■■■■■■■■■
⇨⇨इस पूंजीवाद को रोकना बेहद आवश्यक है. और लोग सही कह रहे है की केजरीवाल इस मुद्दे पर राजनीती कर रहे है, और मै चाहता हु की सभी दल यही राजनीति करे.
देश की सम्पदा देश के लोगो की है, उसकी रक्षा इन पूंजीपतियों से करे और इमानदार उद्योगपतियों को अवसर प्रदान करे
लोग पूछ रहे है रिलायंस का गैस घोटाला क्या है?
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सरल और आसन शब्दों में ये घोटाला इस प्रकार है।
■कृष्णा गोदावरी बेसिन में गैस का कुआ है, उस कुए की गैस सरकार की यानी हम सब की है।
■उस कुए से गैस निकालने का ठेका रिलायंस को मिला। रिलायंस ने खुद कहा की गैस निकलने का प्रति यूनिट खर्चा 1$ से भी कम है, और ठेका रिलायंस को मिल गया।
■कुछ साल बाद रिलायंस कहती है की उसे पैसा गैस के अमेरिका और यूरोप के मार्किट रेट के मुताबिक चाहिए और हमारी सरकार ने रिलायंस की बात मान ली। और जो मंत्री रिलायंस की बात नहीं मानता था, उसे हटा दिया जाता था, जयपाल रेड्डी उसी की वजह से पेट्रोलियम मंत्री पद से हटाये गए।
■जब रिलायंस की बात नहीं मानी जाती तो रिलायंस उत्पादन कम कर ब्लैक मेल करती है। जब उत्पादन कम होता तो उस गैस से चलने वाले सैकड़ो बिजली उत्पादन केंद्र बंद हो जाते और बिजली की किल्लत हो जाती। गैस इम्पोर्ट करते तो दाम ज्यादा चुकाना पड़ता, जो नुकसानदायक होता। सरकार लाचार हो जाती और झुक जाती, कुछ झुकाव भ्रष्टाचार की वजह से भी हो जाता।
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याद रहे रिलायंस गैस की
मालिक नहीं है, उसे सिर्फ गैस
निकलने की अनुमति है।
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■उदहारण के तौर पर एक बात सोचते है। आपके घर में दो टैंक है, एक नीचे है और एक ऊपर। आपने नीचे की टैंक से ऊपर के टैंक तक पानी की पाइपलाइन का ठेका किसी प्लम्बर को दिया। काम होने के बाद अगर प्लम्बर कहे की मुझे हर लीटर का पैसा चाहिए और उतना चाहिए जितना रेट मार्किट में है। क्या आप उसे उतना पैसा देंगे??
⇨ ठेका पानी ऊपर पहुँचाने का था या फिर पानी की मिलकियत देने का?
⇨अगर वो प्लम्बर कहे की मै पाइप लाइन बंद कर दूंगा तो क्या आप डर जायेंगे?
✔✔आप किसी और को बुलाकर ठेका दे देते है। जिस तरह यहाँ ठेकेदार अपने आपको पानी का मालिक मान बैठा है, वैसे ही रिलायंस मान बैठी है की वो गैस की मालिक है।
■एक और उदहारण ट्विटर पर देखने को मिला.
✔मेरी फ्रीज़ से सामान निकल कर उस सामान से मेरे नौकर ने सैंडविच बनाया और मुझसे कहने लगा की बाज़ार में सैंडविच 50 रुपये में मिलता है, मुझे भी 50 रुपये चाहिए!!
कुछ ऐसी ही स्थिति इस घोटाले की है.
★गैस हमारी, और उसे निकालने के खर्च को मूल्य निर्धारण का आयाम न मानते हुए, किसी कमिटी ने मार्किट रेट को आयाम बना दिया!!
✔ असल में खर्चा और कुछ प्रतिशत मुनाफा जोड़कर एक मूल्य तय किया जाना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा है.
■कुछ एक्सपर्ट इस बात से खुश है की 8$ है तो क्या हुआ, अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार से तो कम है. लेकिन सवाल ये है की हमारी गैस की कीमत अन्तराष्ट्रीय कीमत के आधार पर तब तय की जानी चाहिए जब उसे विदेशो में बेचा जाता है, यहाँ पर बिलकुल उल्टा हो रहा है.
यहाँ भारत को 8$ में और बांग्लादेश को 2.5$ में गैस दी जा रही है.
✔सरकार को न झुकते हुए, करार रद्द कर किसी नयी कंपनी को लाना चाहिए था, लेकिन सरकार और उसके मंत्री पैसा खा कर रिलायंस को 1$ की चीज़ के लिए 8$ देने को राज़ी हो गयी!!
⇨⇨★★⇦⇦
लोग कह रहे है इससे
रिलायंस को 54000
करोड़ का मुनाफा हर
साल होगा। मै कहता
हु इससे इस देश की
जनता को हर साल
54000 करोड़ का
नुकसान होगा।
⇨⇨★★⇦⇦
⇨⇨⇨ इतना ही नहीं, CNG के दाम, फ़र्टिलाइज़र के दाम अगर बढ़ गए तो फिर इस देश की अर्थव्यवस्था का भगवन ही मालिक होगा.
■फिलहाल रिलायंस की ही पार्टनर कंपनी यही गैस 2.5$ में बांग्लादेश को दे रही है!! ⇨⇨ इसका मतलब 2.5$ में गैस निकालने का खात्च और मुनाफा दोनों जुड़े हुए है। 2.5$ डॉलर की चीज़ के सरकार 8$ क्यों देना चाहती है, इसका उत्तर कोई नहीं दे रहा।
ツツ अब बात इस मुद्दे पर हो रही राजनीति पर.
■आज तक मुकेश अम्बानी पर किसी पार्टी के नेता ने कुछ बोलने की हिम्मत नहीं जुटाई.
✔अरविन्द केजरीवाल ने मुकेश अम्बानी पर आरोप पहले भी लगाये थे और आज भी लगा रहे है.
✔उन्होंने तो मुकेश अम्बानी के स्विज़ बैंक के खाते का भी नंबर देने का दावा किया था. लेकिन बाकि पार्टियों की इस मुद्दे पर ख़ामोशी कुछ अलग इशारा करती है !
इशारा ऐसा है की जो अम्बानी के खिलाफ कुछ बोलेगा, उसे उस पार्टी में भी जगह नहीं मिलेगी.
◢ अरुण शौरी बीजेपी के उदहारण है और जयपाल रेड्डी कांग्रेस के जिन्हें अच्छे काम के बावजूद विभाग बदलना पड़ा.
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कुछ पूंजीपति इस देश को चला
रहे है, इस देश की सरकारों पर
इन पूंजीपतियों का नियंत्रण है,
ऐसा प्रतीत होता है. बिजली और
गैस आज की जरुरत है और
शायद इसी जरुरत को ये
कंपनिया सरकार की मज़बूरी
मानती है और ब्लैकमेल और
भ्रष्टाचार कर अनैतिक
धन कमाती है.
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⇨⇨इस पूंजीवाद को रोकना बेहद आवश्यक है. और लोग सही कह रहे है की केजरीवाल इस मुद्दे पर राजनीती कर रहे है, और मै चाहता हु की सभी दल यही राजनीति करे.
देश की सम्पदा देश के लोगो की है, उसकी रक्षा इन पूंजीपतियों से करे और इमानदार उद्योगपतियों को अवसर प्रदान करे
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