जब रेस्टोरेन्ट वाला सर्विस चार्ज बिल में लगाता है तो फिर आप टिप क्यों दें ।



जब रेस्टोरेन्ट वाला सर्विस चार्ज बिल में लगाता है तो फिर आप टिप क्यों दें




क्या आप रेस्टोरंट में खाना खाने के बाद उसका बिल ध्यान से देखतें है या सिर्फ आप उस बिल का भुगतान बिना देखे कर देते हैं और उपर से कुछ रुपये वेटर को टिप के तौर पे दे देते हैं।
अगर आप बिल ध्यान से देखेंगे तो आपको पता चलेगा कि रेस्टोरेन्ट वाले ने तो उस में सर्विस चार्ज के रूप में पहले ही कुछ रकम डाल दी है यह सामान्यता 5 से 10% तक हो सकती है। ये जो 5 से 10% तक की रकम जो सर्विस चार्ज के रूप में दिखाई गयी है वो एक किस्म का टिप ही तो है जो आप आमतौर में रेस्टोरेन्ट के वेटर को देते हैं । जब आपके बिल में पहले ही सर्विस चार्ज लगा दिया गया है तो फिर दुबारा से टिप क्यों ? यह भी हो सकता है कि वेटर आपको यह कहे कि जो सर्विस चार्ज लगाया है वह तो सरकार के पास टैक्स के रूप में जाता है। यह ध्यान रहे कि सर्विस चार्ज और सर्विस टैक्स दो अलग-  अलग हैं। सर्विस चार्ज टिप के रूप में है और सर्विस टैक्स एक टैक्स है जो सरकारी खजाने में जाता है। सर्विस चार्ज जो कि टिप के रूप में है वो सर्विस करने वाले रेस्टोरंट कर्मचारियों में बाँटा जाता है।
 


Comments

  1. People are not aware of this.Wide publicity is required to be given.What is the guarantee that service charge is distributed among waiters and not pocketed by the owner.

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  2. As far as publicity is concerned, I expects all such posts may be forwarded by the readers to their contact list and the consumer empowerment is only due to its mass awareness. The waiter and other associated staff themselves would ensure that they get their share of tips as per agreed norms out of collected amount on a/c of service charge. With the computerised billing this issue is taken care of.

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    1. The owner never gives a single penny from service charge to his staff. From staff no one dare to raise the voice as a job is more important than share from the service charge. This is the truth.

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